जन्म से लेकर गुरु दक्षिणा तक की घटनाएँ
जन्म-काल, स्थान व कुल-परिचय
आत्मबोध की किरण
वैराग्य का उदय
वैवाहिक बन्धन की तैयारी
गृह-त्याग
मूलशंकर से शुद्धचैतन्य
योगियों की खोज में
सिद्धपुर मेले में पिता से अन्तिम भेंट
संन्यास की दीक्षा चाणोद में
योग-साधना एवं स्वाध्याय
हरिद्वार कुम्भ के मेले में
सन् 1857 के आस-पास
ज्ञानार्जन के लिए कठिन पर्वत-यात्राएँ
पर्वतीय दुर्गा-भक्तों से प्राण-त्राण
ओखीमठ के स्वामित्व का प्रस्ताव ठुकराया
अलकनन्दा (गंगा) नदी की दुर्गम यात्रा
ग्रन्थ का परीक्षण
जिज्ञासु व निर्भीक दयानन्द नर्मदा नदी के घोर घने जंगल में
गुरु के चरणों में
गुरु-सेवी दयानन्द
संकल्पी स्वामी दयानन्द
सच्चा साधक
श्रद्धालु व गुरुभक्त स्वामी दयानन्द
दयानन्द-सा दूसरा शिष्य नहीं
गुरु-दक्षिणा
कार्य क्षेत्र में पदार्पण व अन्य घटनाएँ
समाजोत्थान के लिए प्रस्थान
ईश्वर सर्वव्यापक होने से साकार नहीं हो सकता
आपके सामने बोलने का साहस किसी का नहीं होता
पुष्कर में महर्षि का प्रभाव
अजमेर में पादरियों से शास्त्रार्थ
ब्रह्मा जी विद्वान् व सच्चरित्र थे
कर्नल ब्रुक्स से महर्षि की धर्मचर्चा व गोपालन का महत्त्व
महर्षि के भय से जब महन्त ने नगर ही छोड़ दिया
मैं शास्त्रार्थ ही नहीं, शस्त्रार्थ भी जानता हूँ
महाराजा जयपुर का निमन्त्रण
गुरु से अन्तिम भेंट
कुम्भ के मेले में पाखण्ड-खण्डनी पताका (हरिद्वार)
महादेव की पूजा मन्दिर में क्यों?
मैं तो लोगों को बन्धन-मुक्त कराने आया हूँ
स्त्रियों को गायत्री – जाप का अधिकार
मूर्तियों का गंगा में विसर्जन कर्णवास में
शीत-निवारण में योग का प्रभाव व अभ्यास
‘अहं ब्रह्मास्मि’ का तर्कसंगत प्रतिवाद
छुआछूत के विरोधी
कर्णवास में रासलीला का खण्डन एवं राव कर्णसिंह से सामना
मूर्तिपूजा विषयक शास्त्रार्थ में महर्षि जी का सामना सम्भव नहीं
वही आत्म-प्रेमी है
स्वार्थी जनों द्वारा समाज-सुधारक महर्षि दयानन्द की प्राण-हानि का प्रयास
अन्न दूषित नहीं
अच्छा कर्म ही अच्छा है
दयालु महर्षि दयानन्द
महर्षि की प्रेरणा से पाठशाला की स्थापना
पहलवान शर्मिन्दा हो गए
मन्दिर निर्माण की अपेक्षा समाज-सेवा के संस्थान श्रेष्ठ हैं
मूर्तियां बेल-पत्र नहीं खातीं
स्नेहशील व उदारचेता महर्षि दयानन्द
वीतराग व तपस्वी महर्षि दयानन्द
काशी शास्त्रार्थ और अन्य घटनाएँ
काशी का ऐतिहासिक शास्त्रार्थ
वैर-भाव से परे
मैं खुद ही बलि चढ़ा जा रहा हूँ
सिंह-सी दहाड़
विनम्रता व क्षमा की प्रतिमूर्ति
अनधिकृत वस्तु का ग्रहण चोरी
अपने बल पर भरोसा
राजपूतों को यज्ञोपवीत दिया
निर्धन किसान की रोटियाँ
महर्षि का कर्णवास में पुन: पदार्पण
राव कर्णसिंह लज्जित हुआ और भयभीत भी
मुझे बिरादरी से निकाले जाने का भय नहीं
हम बाबा आदम और माता हव्वा के जमाने के हैं
केशवचन्द्र सेन से भेंट
सत्यासत्य जानते हैं, पर मानते नहीं
और छप्पर बन गया
कौवा अधिक विद्वान् है
यज्ञ का महत्त्व
समाधिस्थ ऋषि-दर्शन से भक्त की तृप्ति
यही मोक्ष का मार्ग है
वैष्णव मतावलम्बी द्वारा प्राणहरण की चेष्टा
वैरागी साधु पर प्रभाव
आर्यसमाज-नामकरण
परिश्रमी निर्धन नहीं होते
पोथियों के पाठ नहीं बेचता
द्वेष से द्वेष शान्त नहीं होता
सत्य की राह से नहीं हट सकता
सहृदयी महर्षि दयानन्द
आर्य समाज की स्थापना और अन्य घटनाएँ
आर्यसमाज की स्थापना
वेदमन्त्र सुनने का अधिकार सभी को
केशों का बढ़ाना त्याग व तपस्या का लक्षण नहीं है
मूर्तिपूजा अवैदिक है
पूना में प्रवचन-माला
नियमित दिनचर्या
मूर्तिपूजा किसी भी मत की ठीक नहीं
अज्ञानवश बच्चे मिट्टी खाते हैं, बड़े होकर नहीं
समाज-सुधारकों की बैठक
चांदापुर के मेले में
जो सत्य सनातन है, वही स्वीकार्य है
पुनर्जन्म होता है
अप्रसन्नता की परवाह नहीं
वेदों में लौकिक आख्यान नहीं
लाहौर में आर्यसमाज के दस नियम
महर्षि दयानन्द की दया
बड़प्पन का अर्थ
पारस्परिक प्रेम का आधार एक साथ खाना नहीं है
ब्रह्मचर्य का चमत्कार
ज्ञानी भी, अज्ञानी भी
जब वेद की प्रामाणिकता की सिद्धि में पत्थर मिले
जन-कल्याण में मान-अपमान नहीं
समालोचना करता हूँ, आलोचना नहीं
सत्य का उपदेश मेरा धर्म
अज्ञानी हैं, क्षमा कर दें
माँगने में शोभा नहीं
निर्वाण व अन्य घटनाएँ
परमात्मा का उपदेश सबके लिए
आत्मा ब्रह्म नहीं
समयबद्धता
महर्षि के बल की परीक्षा
देश की प्रथम गोशाला
महर्षि का हरिद्वार में पुनः आगमन (कुरीतियों का निवारण तथा ब्रह्मवाद का समाधान)
वैदिक धर्मी के लिए सदाचार आवश्यक है
योग में बड़ी शक्ति है
सत्य का प्रकाश मेरा धर्म है
पादरी स्काट से वार्ता
जब परमात्मा की कृपा होगी (मुंशीराम की महर्षि से भेंट)
लो, ये रहे वेद
सत्य कहने में कोई भय नहीं
मेरे प्रवचन विरेचक औषध के समान हैं
मन-मन्दिरों से मूर्तियाँ हटाता हूँ
थियोसोफिकल सोसायटी व आर्यसमाज में सिद्धान्त भेद
तोप का भय दिखाने पर भी वेद की श्रुतियाँ ही निकलेंगी
पं० लेखराम की महर्षि से भेंट
जन्मदात्री मातृशक्ति वन्दनीया है
भेदभाव उचित नहीं
देश – सेवा का चिन्तन
महर्षि की उच्च योगसाधना
लौकिक प्रलोभन का कोई मूल्य नहीं
परोपकारिणी सभा का गठन
महर्षि दयानन्द–एक प्रबुद्ध लेखक
सत्य कहने से नहीं चूकता
महर्षि के विरुद्ध विषपान का षड्यन्त्र
ऋषि जीवन की अन्तिम वेला के अन्तिम क्षण
ईश्वर! तेरी इच्छा पूर्ण हो